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1. |
प्रस्तावना
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(i) |
राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद, राजस्थान संस्था रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1958 के अन्तर्गत एक पंजीकृत संस्था है, जो प्रदेश में युवा मामले एवं खेल विभाग के नियन्त्रण में राज्य में खेलों के विकास की सर्वोच्च संस्था है। स्थापना के पश्चात क्रीड़ा परिषद ने विगत 61 वर्षों के इतिहास में राज्य के खेलों के विकास में अपनी महती भूमिका निभाई है।
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(ii)
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राज्य क्रीड़ा परिषद द्वारा राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए खिलाड़ियों को ‘‘महाराणा प्रताप पुरस्कार‘‘ से सम्मानित किया जाता है। वर्ष 1982-83 से महाराणा प्रताप पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। वर्ष 2018-19 तक राजस्थान के 170 खिलाडियों को महाराणा प्रताप पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया जा चुका हैं। महाराणा प्रताप पुरस्कार में चयनित खिलाडियों को वर्तमान में रू. 1 लाख की नकद राशि, महाराणा प्रताप की ब्रास प्रतिमा, ब्लेजर मय टाई एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया जाता हैं। |
(iii) |
क्रीड़ा परिषद ऐसे खेल प्रशिक्षकों को भी ’’वषिष्ठ पुरस्कार’’ से सम्मानित करती है जो राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर राज्य का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों को तराश कर योग्य खिलाड़ी बनाते हंै। वर्ष 1985-86 से यह पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है। वर्ष 2018-19 तक 40 खेल प्रशिक्षकों को यह पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है। गुरू वशिष्ठ पुरस्कार में प्रशिक्षकों को वर्तमान में रू. 1 लाख की नकद राशि, गुरू वशिष्ठ की ब्रास प्रतिमा, ब्लेजर मय टाई एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया जाता हैं। |
(iv) |
भारत में खेलों के विकास को नई दिशा प्रदान करने के लिए राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद श्रेय की पात्र है। खेल परिषद ने देश में पहली बार राज्य के चयनित खिलाडियों हेतु आवासीय खेलकूद प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की परम्परा डाली, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर सराहा व अनुकरण किया गया। परिषद ने पर्वतीय स्थल माउण्ट आबू में सन् 1959 में पहले खेलकूद प्रशिक्षण शिविर की शुरूआत की। मई-जून, 2018 में इस परम्परा को जारी रखते हुए 60वाँ केन्द्रीय प्रशिक्षण शिविर माउण्ट आबू व जयपुर में आयोजित किया गया। |
(v) |
खेल परिषद द्वारा जनजाति क्षेत्रों की प्रतिभाओं को तलाश कर तराशने के लिए ग्रीष्मावकाश में पृथक से आवासीय प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जाता है। जनजाति शिविर वर्ष 2018 में भी माह मई-जून में डूंगरपुर में आयोजित किया गया। |
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2. |
क्रीड़ा परिषद का गठन :- |
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(i) |
राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद के संरक्षक (PATRON) राज्य के राज्यपाल हंै। राज्य के मुख्यमंत्री भी परिषद के उप संरक्षक हैं। परिषद के अध्यक्ष मुख्य कार्यकारी होते हैं। इसके अलावा परिषद में उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष व राज्य सरकार द्वारा मनोनीत 12 से अनाधिक सदस्य होते हैं। 6 अधिकारी इसके पदेन सदस्य होते है। परिषद के प्रथम अध्यक्ष श्री वी.जी. कानेटकर थे। 16 नवंबर, 2018 से अध्यक्ष का कार्यभार श्री भास्कर ए.सांवत (अतिरिक्त मुख्य सचिव, युवा मामले एवं खेल विभाग) संभाले हुये हैं।
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3. |
प्रशासनिक व्यवस्था :- |
(i) |
राज्य में खेल गतिविधियों के संचाल एवं प्रशासनिक कार्यो के निष्पादन के लिये विभिन्न संवर्ग के 339 पद सृजित है, जिसमें 242 पद भरे हुए है व 97 पद खाली है। इसमें परिषद् के सचिव सहित अधिकारी संवर्ग के 30, अधीनस्थ कर्मचारी संवर्ग के 112 पद एवं 43 मंत्रालयिक एवं 57 सहायक संवर्ग के कार्मिक कार्यरत है। प्रदेश में निःशुल्क खेल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये प्रशिक्षकों के 148 पद स्वीकृत है, जिसमें वर्तमान में 103 प्रशिक्षक प्रशिक्षण का कार्य कर रहे है।
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(ii) |
राज्य के सभी 33 जिलों में खेलों को बढ़ावा देने व नियमित प्रशिक्षण देने के लिए जिला खेलकूद प्रशिक्षण केन्द्र के कार्यालय कार्यरत हैं। इन कार्यालयों में परिषद का एक खेल अधिकारी/प्रभारी, कनिष्ठ लिपिक तथा जिलों में प्रचलित खेलों के आधार पर आवश्यकता एवं उपलब्धता अनुसार प्रशिक्षकों को पदस्थापित किया जाता हैं। कार्यालयों व मैदानों के रख-रखाव के लिए चैकीदार एवं गेम्सबाॅय भी कार्यरत रहते हैं। |
(iii) |
जिला खेल अधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों एवं प्रशिक्षकों के सहयोग से विभिन्न खेलों की प्रतियोगिताओं के आयोजन के साथ-साथ जिले के होनहार खिलाड़ियों को गहन प्रशिक्षण देने का कार्य भी करते हैं। |
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